इसी ख्याल से गुज़री है शाम-ए-ग़म अक्सर

इसी ख्याल से गुज़री है शाम-ए-ग़म अक्सर 😢,
कि दर्द हद से जो बढ़ेगा तो मुस्कुरा दूंगा! 💔😭